भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ सिर्फ़ ज़मीन और आसमान की सुरक्षा ही नहीं, बल्कि डिजिटल स्पेस की सुरक्षा भी राष्ट्रीय रक्षा का हिस्सा बन चुकी है। साइबर हमले सिर्फ़ डेटा चोरी या हैकिंग की घटना नहीं रहे — ये अब देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, और रणनीतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ़ हथियार बन चुके हैं।
इसी बदलते दौर में एक नाम लगातार सामने आ रहा है — अंकुर चंद्रकांत।
लोग इन्हें अब एक नए नाम से पुकारने लगे हैं:
Cyber की दुनिया के द्रोणाचार्य
अक्सर हम कामयाबी को सिर्फ़ बड़े पद, ऊँचे पैकेज और कॉर्पोरेट जगत की चकाचौंध से नापते हैं। लेकिन कुछ लोग, इन तमाम ऊँचाइयों को छूने के बाद, अचानक एक ऐसा मोड़ लेते हैं जो समाज को एक नई दिशा दिखाता है। यह कहानी है अंकुर चंद्रकांत की— जिन्होंने माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियों में नौकरी की, पर फिर सब कुछ छोड़कर वापस शिक्षा, रिसर्च और सामाजिक सुरक्षा के मैदान में कूद पड़े।

उनकी यह कहानी महज़ करियर बदलने की नहीं, बल्कि एक गहरे व्यक्तिगत दुख और नैतिक ज़िम्मेदारी की भावना से प्रेरित है, जिसने उन्हें ‘डेटा एनालिस्ट’ से ‘समाज का रक्षक’ बना दिया।
अंकुर चंद्रकांत का जन्म भले ही दिल्ली में हुआ हो, लेकिन उनकी जड़ें देवभूमि उत्तराखंड के बागेश्वर से जुड़ी हैं। उनका बचपन भी एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में बीता, जहाँ शिक्षा को सबसे ज़्यादा महत्व दिया जाता था। उनके पिता, रमेश चंद्र शर्मा, रेवेन्यू डिपार्टमेंट में ऑफिसर और माता, कमला शर्मा, हाउसवाइफ हैं — यानी एक खाता कमाता माध्यम वर्गीय परिवार।
उन्होंने गवर्नमेंट बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, द्वारका से 10वीं तक की पढ़ाई और फिर राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई पूरी की।
Microsoft, Google… और फिर अचानक सब छोड़ दिया — क्यूँ?
साल 2004 में उन्होंने देश के शीर्ष तकनीकी संस्थान में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया। यह सफलता ही बता देती है कि तकनीकी क्षेत्र में उनका दिमाग कितना तेज़ है। तकनीकी संस्थान से स्नातक होने के बाद, अंकुर चंद्रकांत के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं थी।
उन्होंने HCL से शुरुआत की और जल्द ही डेल (Dell), और फिर सीधे माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और गूगल इंडिया (Google India) जैसी कंपनियों में डेटा एनालिस्ट के रूप में काम किया। इन कंपनियों में उनका पैकेज लाखों में था, और उनका करियर ग्राफ तेज़ी से ऊपर चढ़ रहा था।
कॉर्पोरेट करियर के साथ-साथ, उन्होंने क्रिप्टोग्राफी में एमएस (मास्टर इन साइंस) की डिग्री भी हासिल की। इस गहन शिक्षा ने उन्हें एक कुशल क्रिप्टएनालिस्ट और साइबर फोरेंसिक विशेषज्ञ बना दिया—जो साइबर सुरक्षा के सबसे जटिल रहस्यों को समझ सकता है।

ज़िंदगी ने सवाल पूछा — पैसा ज्यादा जरूरी है, या Purpose?
सब कुछ ठीक चल रहा था। अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी करने के बाद, उन्होंने SaaS (सॉफ्टवेयर एज़ ए सर्विस) बिज़नेस में भी कदम रखा, जो हॉस्पिटैलिटी, हेल्थकेयर और स्कूल मैनेजमेंट के लिए सॉफ्टवेयर बनाता था। लेकिन तभी उनकी ज़िंदगी में एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने उनके सारे समीकरण बदल दिए।
कुछ वर्ष पूर्व, उनके एक बेहद नज़दीकी दोस्त राजीव (जो उनके बिज़नेस पार्टनर भी थे) की अचानक हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। इस घटना ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। उन्हें एहसास हुआ कि जीवन कितना क्षणभंगुर है, और पैसा या पद जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकता। इस दुख ने उन्हें आत्म-मंथन के लिए प्रेरित किया, और उनका मन पूरी तरह से शिक्षा और रिसर्च की ओर झुक गया।
पहचान और योगदान: राष्ट्रीय मंच पर ‘साइबर द्रोणाचार्य’
अंकुर चंद्रकांत अब सिर्फ कॉर्पोरेट जगत के विशेषज्ञ नहीं रहे। Ankur Decodes: हाल ही में उन्होंने यूट्यूब और इंस्टाग्राम चैनल ‘Ankur Decodes’ के ज़रिए साइबर फ्रॉड और टेक्निकल एनालिसिस को एकदम आसान और देसी लहज़े में लाखों युवाओं तक पहुँचा रहे हैं।
- अंकुर चंद्रकांत के समर्पण को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है:
उन्हें ‘उत्तराखंड रतन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। - वर्ष 2018 में साइबर सिक्योरिटी क्षेत्र में सर्वोत्तम योगदान के लिए सीएम (मुख्यमंत्री) के हाथों एक्सीलेंस अवार्ड मिला है।
- वह एथिकल हैकर ऑफ द ईयर 2016 भी रह चुके हैं और माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड ट्रेनर हैं।
- वह अमेजॉन, गूगल, ओरेकल जैसी कंपनियों के बग बाउंटी प्रोग्राम कर चुके हैं, जो उनकी तकनीकी क्षमता का प्रमाण है।

अंकुर चंद्रकांत का सफर यह दर्शाता है कि एक क्रिप्टएनालिस्ट, जो माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के लिए काम करता था, एक दोस्त की मौत से प्रेरणा लेकर, NGO के ज़रिए समाज सेवा, देश के बच्चों, महिलाओं और अधिकारियों को सुरक्षित करने का बीड़ा उठा सकता है।
उनकी सफलता अब उनके बैंक बैलेंस से नहीं, बल्कि उनके सामाजिक योगदान और राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके अप्रत्यक्ष योगदान से मापी जाती है।
आज लोग Cyber Expert नहीं, देश का Digital Security Guardian मानते हैं। और शायद इसलिए… उसका नाम अब सिर्फ अंकुर नहीं — Cyber की दुनिया का द्रोणाचार्य है
अंकुर चंद्रकांत का यह सफर एक कुशल क्रिप्टएनालिस्ट के रूप में तकनीकी कौशल का उपयोग समाज सेवा के लिए करने का एक उदाहरण है। वह अब अपने एनजीओ (NGO) के माध्यम से देश के बच्चों, महिलाओं और अधिकारियों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक और सुरक्षित बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

