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चित्तौड़गढ़, राजस्थान: राजस्थान पुलिस के एक उच्च पदस्थ अधिकारी, चित्तौड़गढ़ के एडिशनल एसपी (ASP) मुकेश सांखला, गंभीर आरोपों के घेरे में आ गए हैं। एक कानून की छात्रा ने उन पर झूठे मुकदमों में फंसाने के संगीन आरोप लगाए हैं। छात्रा ने अपनी आपबीती बताते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया है, जिसमें उसने न्याय की गुहार लगाई है। यह मामला सामने आने के बाद से सोशल मीडिया पर ‘Justice for Kamakshi’ अभियान जोर पकड़ रहा है और पूरे प्रदेश में इसकी चर्चा हो रही है।

छात्रा के आरोप: दोस्ती से धमकी तक का सफर

उदयपुर की 26 वर्षीय कानून की छात्रा का दावा है कि ASP मुकेश सांखला ने पहले उनसे दोस्ती की, लेकिन जल्द ही उनका इरादा बदल गया और उन्होंने निजी संबंध बनाने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया। छात्रा के अनुसार, जब उन्होंने सांखला की मांगों को मानने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने उन्हें बदनाम करने की धमकी दी और उनके तथा उनके परिवार के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज करने की चेतावनी दी।

छात्रा ने बताया कि धमकियों का सिलसिला यहीं नहीं रुका। उन्हें और उनके परिवार को परेशान करने के लिए कथित तौर पर फर्जी पुलिस लेटर भेजकर उनका मोबाइल नंबर (735***45) बंद करवा दिया गया। छात्रा ने जब एयरटेल कस्टमर केयर से संपर्क किया, तो उन्हें पता चला कि चित्तौड़ पुलिस थाने से एक ईमेल के माध्यम से उनकी सेवा को बंद करवाया गया था। यह आरोप सीधे तौर पर पुलिस तंत्र के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है।


‘न’ कहना पड़ा महंगा: सबूतों का दावा और सोशल मीडिया पर आक्रोश

पीड़िता का कहना है कि उनका “गुनाह सिर्फ इतना है कि मैंने मुकेश सांखला को ‘न’ कह दिया। ASP सांखला के साथ न रिश्ता बनाया और न इज्जत लुटाने को तैयार हुई।” छात्रा ने दावा किया है कि उनके पास मुकेश सांखला के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जिनमें कॉल रिकॉर्डिंग्स, महत्वपूर्ण दस्तावेज और व्हाट्सएप चैट्स शामिल हैं।

छात्रा ने इस मामले की शिकायत महिला आयोग और उदयपुर एसपी कार्यालय में भी की थी, लेकिन उनका कहना है कि कोई ठोस कार्रवाई न होने के बाद उन्हें सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ा। उनके द्वारा जारी किया गया वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर ‘Justice for Kamakshi’ नाम से तेजी से वायरल हो रहा है। लोग छात्रा के समर्थन में आ रहे हैं, कमेंट्स कर रहे हैं और अधिकारियों को टैग कर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई हैशटैग भी ट्रेंड कर रहे हैं, जो इस मामले की संवेदनशीलता और जनता के बढ़ते आक्रोश को दर्शाते हैं।


ASP सांखला का बचाव: ‘बेबुनियाद आरोप और राजनीतिक साजिश’

दूसरी ओर, एडिशनल एसपी मुकेश सांखला ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने इन्हें “बेबुनियाद और राजनीतिक साजिश” बताया है। सांखला का दावा है कि पीड़िता और उसके प्रेमी एक अंतर्राष्ट्रीय सट्टा गिरोह से जुड़े हुए हैं और उनके खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज हैं। उनका कहना है कि यह उनकी छवि को धूमिल करने और उन्हें बदनाम करने की एक कोशिश है।

हालांकि, सांखला के ये दावे इस गंभीर आरोप के लिए कितने विश्वसनीय हैं, यह जांच का विषय है। एक पुलिस अधिकारी पर सीधे तौर पर यौन उत्पीड़न और पद के दुरुपयोग के आरोप लगना अपने आप में चिंताजनक है।


न्याय के लिए उठते सवाल: क्या मिलेगी पीड़िता को सुरक्षा?

इस पूरे घटनाक्रम ने राजस्थान पुलिस की कार्यप्रणाली और महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता छात्रा ने सरकार और संबंधित अधिकारियों से कुछ महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं:

  • इतने गंभीर आरोपों के बावजूद ASP सांखला पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
  • क्या राजस्थान पुलिस आंतरिक जांच में पारदर्शिता रखेगी?
  • क्या महिला आयोग इस मामले में दृढ़ता से कदम उठाएगा?
  • क्या पीड़िता को गवाह सुरक्षा और कानूनी सहायता मिलेगी?

ये सवाल न केवल इस विशेष मामले की जांच की दिशा तय करेंगे, बल्कि राजस्थान में कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाएंगे। फिलहाल, यह मामला सोशल मीडिया से लेकर पुलिस मुख्यालय तक चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना यह है कि राजस्थान पुलिस और सरकार इस गंभीर आरोप की सच्चाई सामने लाने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाती है।

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