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नई दिल्ली: अगर आपको लगता है कि सफलता सिर्फ किस्मत वालों को मिलती है, तो जनाब, ज़रा इस शख्स की कहानी सुन लीजिए! ये हैं डॉ. अमित शुक्ला, जो आज खबरों की दुनिया में बड़ा नाम हैं। लेकिन यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। कभी घर-घर ट्यूशन पढ़ाया, कभी कॉमिक्स बेची, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी। और आज? खबरों की ‘सर्जरी’ करने वाले इस पत्रकार को लोग ‘खबरों का डॉक्टर’ कहते हैं!

संघर्ष की मिट्टी से निकला ये हीरा

8 अगस्त 1983 को जन्मे अमित शुक्ला का बचपन उतना आसान नहीं था। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे और घर में कमाने वाले सिर्फ पिता थे। हालात ऐसे थे कि जेब खर्च तो छोड़िए, स्कूल की फीस भी खुद ही निकालनी पड़ती थी। लेकिन अमित ने हिम्मत नहीं हारी।

बचपन में ही घर-घर ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। किताबों से प्यार था, लेकिन जेब में पैसे नहीं थे, तो खुद ही कमाने निकल पड़े। भाई के साथ मिलकर कॉमिक्स बेचीं, वीडियो गेम पार्लर तक चलाया। जहां बच्चे खेल-कूद में मस्त रहते हैं, वहां अमित अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठा रहे थे।

पढ़ाई छोड़ी नहीं, और बन गए ‘डॉक्टर’!

मुश्किलें आईं, लेकिन अमित रुके नहीं। बॉटनी और केमिस्ट्री में BSc किया, फिर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से MA किया। लेकिन इतना ही काफी था क्या? नहीं! उन्होंने 2019 में देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार से पत्रकारिता और जनसंचार में PhD भी कर डाली।

खबरों की दुनिया में धमाकेदार एंट्री

अब पढ़ाई कर ली, तो करियर भी शानदार बनाना था। शुरुआत हुई दैनिक जागरण से, जहां उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों की एडिटिंग, स्क्रिप्टिंग, वॉयस-ओवर, फोटो रिफाइनिंग और अनुवाद तक सब कुछ किया। फिर 2018 में टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड (TIL) से जुड़े और इकोनॉमिक टाइम्स डिजिटल में कंटेंट क्वालिटी का जिम्मा संभाला। 2021 से नवभारत टाइम्स डिजिटल में बिजनेस डेस्क का हिस्सा हैं।

खबरों के ‘सर्जन’ कैसे बने?

पत्रकारिता की हर विधा में हाथ आजमाने वाले डॉ. अमित सिर्फ लिखते ही नहीं, बल्कि खबरों की ‘सर्जरी’ भी करते हैं! यानी, खबरों को बारीकी से जांचते हैं, एडिट करते हैं और दर्शकों तक सबसे सटीक जानकारी पहुंचाते हैं। इसलिए लोग उन्हें ‘खबरों का डॉक्टर’ कहने लगे।

मीडिया से आगे भी खूब नाम कमाया!

सिर्फ पत्रकारिता ही नहीं, अमित ने शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान दियाशिमला यूनिवर्सिटी और माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पढ़ाया, जहां सैकड़ों छात्रों को उन्होंने ट्रेंड किया। साथ ही, भाषा विशेषज्ञ (लिंग्विस्ट) के रूप में भी अपनी पहचान बनाई

ET एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित

उनकी मेहनत रंग लाई और 2019 में उन्हें ET एक्सीलेंस अवॉर्ड से नवाजा गया। एक छोटे शहर से निकलकर बड़ी-बड़ी मीडिया कंपनियों तक पहुंचने वाले डॉ. अमित की कहानी सुनकर कोई भी कहेगा – सक्सेस का कोई शॉर्टकट नहीं होता! मेहनत ही असली राजा है!

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