Alok Pandey GopalAlok Pandey Gopal

भोजपुरी संगीत प्रेमियों, तैयार हो जाओ! आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे कलाकार की, जिनकी आवाज़ ने लाखों दिलों को छू लिया और मंच पर मंत्रमुग्ध कर दिया। आलोक पाण्डेय ‘गोपाल‘ (Alok Pandey Gopal) – एक ऐसा नाम, जिनके गाए गानों में भावनाओं की गहराई है। हाल ही में, जब उन्होंने मंच पर “केहू केतनो दुलारी, बाकी माई ना होई” गाया, तो इस गीत की भावनात्मक ताकत ने बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं विधि मंत्री मंगल पाण्डेय तक को भावुक कर दिया।

माँ के लिए गाया ऐसा गाना, जो बन गया हर दिल की आवाज़

आलोक पाण्डेय ‘गोपाल’ का 2012 में T-Series से रिलीज़ हुआ गीत – “जग में बिना केहू सहाई ना होई, केहू केतनो दुलारी बाकी माई ना होई”
आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। यह गीत माँ के प्यार और त्याग को समर्पित है। मंच से लेकर सोशल मीडिया तक, यह गाना जब भी बजता है, सुनने वालों की आँखें नम हो जाती हैं। आलोक जी खुद कहते हैं—
“मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि मेरा गाना लोगों के दिलों में खास जगह बना सका। मैं आगे भी ऐसे ही गीत लाता रहूँगा।”

इस गाने के पीछे की दिलचस्प कहानी

इस गाने को आलोक पाण्डेय गोपाल के पिता, पंडित रामेश्वर पाण्डेय ने लिखा था। ऑडियो रिकॉर्डिंग के बाद जब वीडियो बनाने की बारी आई, तो सबसे बड़ी चुनौती थी माँ का किरदार निभाने के लिए किसी सही कलाकार को चुनना। कई कलाकारों को चुना गया, लेकिन कोई भी इस भूमिका में फिट नहीं बैठा।

तभी आलोक जी ने अपनी माँ, आरती देवी से अनुरोध किया। पहले तो उन्होंने संकोच किया, लेकिन जब आलोक जी ने उन्हें मनाया, तो जो वीडियो बना, वह इतिहास बन गया। आज भी यह वीडियो लाखों दिलों को छूता है।

Alok Pandey Gopal

जब मंच पर गूंजा यह गीत, तो मंत्री मंगल पाण्डेय की आँखें भी नम हो गईं

जलालपुर में भोजपुरी के जनक, पंडित महेंद्र मिसिर की जयंती के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में आलोक पाण्डेय गोपाल ने जब मंच संभाला, तो पूरे माहौल में संगीतमय जादू छा गया।

उन्होंने जैसे ही गाना शुरू किया—
“केहू केतनो दुलारी, बाकी माई ना होई…”
तो पूरा पंडाल भावुक हो उठा।

लेकिन सबसे ज्यादा असर पड़ा बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं विधि मंत्री, मंगल पाण्डेय पर। गीत की गहराई ने उन्हें इस कदर छू लिया कि उनकी आँखों से आँसू छलक पड़े। कार्यक्रम के बाद उन्होंने कहा—
“भोजपुरी लोकगीत सिर्फ संगीत नहीं, यह हमारी संस्कृति, हमारी भावनाओं का आईना है। यह गीत सुनकर मुझे मेरी माँ की याद आ गई। यह हमारी धरोहर है, इसे संजोकर रखना चाहिए।”

 Alok Pandey Gopal
Alok Pandey Gopal

भोजपुरी गीतों की जादूई शाम

इस कार्यक्रम में आलोक पाण्डेय गोपाल ने महेंद्र मिसिर के अमर गीतों की प्रस्तुति दी—

  • “जब से कन्हैया गईंलें…”
  • “आहे आहे उधो…”
  • “तू राजा बाबू हउवा…”

इन गानों पर दर्शक झूम उठे। लेकिन जैसे ही “केहू केतनो दुलारी, बाकी माई ना होई” गूंजा, तो पूरा माहौल भावनाओं से भर गया।

भोजपुरी लोकसंगीत के धरोहर वाहक

आलोक पाण्डेय गोपाल सिर्फ एक गायक नहीं, बल्कि भोजपुरी संगीत के सच्चे धरोहरवाहक हैं।

  • महुआ चैनल के सुरसंग्राम उपविजेता
  • दूरदर्शन किसान चैनल के फोक स्टार माटी के लाल विजेता

उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संगीत की पढ़ाई की और आज भोजपुरी संगीत को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने “अमर राग और थाती” नाम से एक सांगीतिक मंच भी शुरू किया, जिसका उद्देश्य भोजपुरी लोकसंगीत को संरक्षित करना और नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।

हर साल मनाया जाता है भोजपुरी दिवस

महेंद्र मिसिर की जयंती 16-17 मार्च को भोजपुरी दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस आयोजन में पंडित महेन्द्र मिसिर समिति, जिला प्रशासन और बड़ी संख्या में भोजपुरी प्रेमी शामिल होते हैं।

आलोक पाण्डेय ने अंत में सभी आयोजकों और भोजपुरी प्रेमियों का आभार जताते हुए कहा—
“जब तक आप सभी का प्यार मिलता रहेगा, भोजपुरी लोकसंगीत इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा!”

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