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राजस्थान के तख़तगढ़ के युवाचार्य अभयदास जी ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी हलचल मच गई है। अभयदास जी ने कहा कि राजस्थान के ऐतिहासिक दुर्गों (किलों) पर बनी मुस्लिम मज़ारें हिंदू अस्मिता को मिटाने की साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने बाग़ेश्वर बाबा की तर्ज़ पर कहा, “ये सब झूठी कहानियाँ हैं, जो हमारे गौरवशाली इतिहास को धूमिल करने के लिए गढ़ी गई हैं।”

अभयदास जी का यह बयान तब सामने आया जब उन्होंने हाल ही सिरोही के नीलकंठ महादेव भीनमाल कार्यक्रम में बाग़ेश्वर बाबा के साथ मंच साझा किया। दोनों धर्मगुरुओं की मित्रता किसी से छिपी नहीं है, और इस कार्यक्रम में दोनों ने धर्म और संस्कृति की रक्षा की बात की थी।

मज़ारों पर सवाल उठाए

अभयदास जी ने अपने बयान में कहा कि भारत के किलों में बनी मज़ारें और दरगाहें, इतिहास के साथ एक बड़ा छलावा हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये मज़ारें उन लोगों की हैं, जिन्होंने हिंदू राजाओं के साथ कभी कोई सहयोग नहीं किया, बल्कि वे हिंदू संस्कृति और अस्मिता को खत्म करने की कोशिशें करते रहे।

बयान ने खड़ा किया विवाद

अभयदास जी के इस बयान ने तुरंत विवाद खड़ा कर दिया है। कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, तो कई इसे सांप्रदायिक माहौल खराब करने वाला बयान बता रहे हैं। उनके समर्थक इसे हिंदू गौरव की रक्षा के लिए आवश्यक कदम मानते हैं, जबकि आलोचकों का कहना है कि इस तरह के बयान समाज में विभाजन पैदा कर सकते हैं।

बाग़ेश्वर बाबा के साथ अभयदास जी की मित्रता और धार्मिक कार्यक्रमों में उनकी एकजुटता ने भी इस बयान को और ध्यान खींचने वाला बना दिया है। दोनों ही धर्मगुरु अपने स्पष्ट और मुखर बयानों के लिए जाने जाते हैं, और उनकी बातें जनता के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं।

क्या होगा आगे?

अभयदास जी के इस बयान के बाद राजस्थान में सियासी और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। अब देखना होगा कि इस बयान का आगे क्या प्रभाव पड़ता है, और क्या यह बयान राजस्थान की राजनीति और सांप्रदायिक सौहार्द पर असर डालता है।

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